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Showing posts from June 24, 2010
उल्टे हनुमान मंदिर "कवन सो काज कठिन जगमाहीं, जो नहिं होइ, तात तुम पाहीं।" सांवेर के पूर्व दिशा में खान नदी के पास में जंहा पर " विश्व के एक मात्र उल्टे हनुमान जी का मंदिर " है। एक पौराणिक कथा के अनुसार जब अहिरावण भगवान श्रीराम व लक्ष्मण का अपहरण कर पाताल लोक ले गया, तब हनुमान ने पाताल लोक जाकर अहिरावण का वध कर श्रीराम और लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा की थी। ऐसी मान्यता है कि यही वह स्थान है, जहाँ से हनुमानजी ने पाताल लोक जाने हेतु पृथ्वी में प्रवेश किया था। कहते हैं भक्ति में तर्क के बजाय आस्था का महत्व अधिक होता है। यहाँ प्रतिष्ठित मूर्ति अत्यंत चमत्कारी मानी जाती है। यहाँ कई संतों की समाधियाँ हैं। सन् 1200 तक का इतिहास यहाँ मिलता है। उल्टे हनुमान मंदिर परिसर में पीपल, नीम, पारिजात, तुलसी, बरगद के पेड़ हैं। यहाँ वर्षों पुराने दो पारिजात के वृक्ष हैं। पुराणों के अनुसार पारिजात वृक्ष में हनुमानजी का भी वास रहता है। मंदिर के आसपास के वृक्षों पर तोतों के कई झुंड हैं। इस बारे में एक दंतकथा भी प्रचलित है। तोता ब्राह्मण का अवतार माना जाता है। हनुमानजी ने भी तु
माँ चामुंडा मंदिर सांवेर नगर की आस्था का प्रमुख केंद्र माँ चामुंडा का मंदिर, नगर के दक्षिण में इंदौर रोड पर स्थित है। सन 1232 में होल्कर वंशो द्वारा इस मंदिर की स्थापना महाराजा मल्हार राव जी ने की एवं वे यहाँ पूजा-अर्चना के लिए आया करते थे। मंदिर के बारे में किंवदंती है की महाराजा मल्हार राव होल्कर को देवी ने स्वप्न में आकर इस स्थल की खुदाई करने को कहा था, भूमि पूजन के पश्चात महाराज द्वारा स्थल की खुदाई करने पर माताजी की यह विशाल प्रतिमा यंहा प्रकट हुई। मंदिर में माँ चामुंडा की विशाल प्रतिमा पूर्वाभिमुख होकर अपने तेजस्वी स्वरुप में विद्यमान है, पास ही में श्री भैरवनाथ एवं समीप में समाधी वाले बाबा की समाधी है। माँ चामुंडा की यह प्रतिमा अष्ट भुजाओ की होकर इसकी छह भुजाओ में शंख, चक्र, गदा, त्रिशूल, तलवार, ढाल और राक्षस की चोटी है। प्रतिमा के एक हाथ से त्रिशूल द्वारा राक्षस का वध परिलक्षित है । माताजी के मस्तक पर मुकुट के मध्य शिवलिंग है। मान्यता है की माता की यह प्रतिमा प्रातः काल बाल्यावस्था, दोपहर में युवावस्था एवं संध्या के समय मातृ अवस्था में परिलक्षित होती है। यहाँ न