श्री गणेश मंदिर वक्रतुंड महाकाय। सूर्यकोटि सम प्रभ। निर्विघ्न कुरु मे देव। सर्व कार्येषु सर्वदा॥ अर्थात् जिनकी सूँड़ वक्र है, जिनका शरीर महाकाय है, जो करोड़ों सूर्यों के समान तेजस्वी हैं, ऐसे सब कुछ प्रदान करने में सक्षम शक्तिमान गणेश जी सदैव मेरे विघ्न हरें। शुभ कार्यो में प्रथम पूज्य श्री गणेशजी का आकर्षक एवं दर्शनीय मंदिर नगर के बीचों बीच बाज़ार चौक में स्थित है । यहाँ पर गणेश की मनोहारी पाषाण प्रतिमा मौजूद है । इस प्रकार की अत्यंत दुर्लभ प्रतिमा आस-पास के क्षेत्रो में कही भी नहीं है । मंदिर लगभग 250 वर्ष पुराना है । मंदिर में पीछे की और श्री हनुमान मंदिर एवं शिवजी का मंदिर है । गणेश चतुर्थी एवं अन्य विशेष अवसरों पर प्रतिमा का श्रृंगार देखते ही बनता है । गणेश जी को लगने वाला 56 भोग का प्रसाद भी लोकप्रिय है । गणेश चतुर्थी पर यंहा शुद्ध घी के लड्डू वितरित किए जाते है।
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श्री गणपति बुआ संस्थान सांवेर का यह गणपति बुआ संस्थान मंदिर 150 से अधिक साल पुराना है । नगर की यह धार्मिक धरोहर आज भी अपनी वास्तविक स्वरुप में कायम है । महाराष्ट्र व गुजरात के प्रसिद्द संत श्री गणपति बुआ द्वारा स्थापित इस संस्थान के प्रति इंदौर के होल्कर के अलावा ग्वालियर व बडौदा के महाराजाओ की भी गहरी निष्ठां रही है । इस संस्थान की विशेषता यह हे कि यहाँ की मूर्ति चल प्रतिमा है । " सांवेर आमची कसली, सांवेर गणपति बुंवाची, अशीच जगभर प्रसिद्धी आहे " । महाराज तुंकोजीराव होल्कर के उपरोक्त श्रद्धापूर्ण शब्द सांवेर के गणपति बुआ संस्थान के प्रसिद्ध संत गणपति बुआजी के लिए कहे गए है । महाराज जब भी सांवेर जाते तो इस महान योगी और उनकी कुटिया में विराजित श्री गणेशजी कि प्रतिमा के दर्शन हेतु पैदल ही जाते थे । महाराज होल्कर कि व्यक्तिगत श्रद्धा इतनी अधिक थी, कि उन्होंने संस्थान के लिए आने वाले सामान पर कोई चुंगीकर या अन्य कर न लगाने के आदेश दिए थे । पूर्व में गणेश उत्सव पर गणपति मंदिर से पालकी यात्रा जो पुरे नगर के मुख्य मार्गो से होकर निकाली जाती थी। संस्थान के वर्त...
सांवेर का इतिहास इतिहास के झरोखे में नजर डाले, तो सांवेर का उल्लेख मिलता है, सांवेर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि सदियों पुरानी है। इसका उल्लेख यहाँ के मकान व शिलालेखो पर देखने को मिलता है। सांवेर का प्राचीन नाम " सगाना " हुआ करता था, जो कि श्री बाजीराव पेशवा के समय से सांवेर में परिवर्तित हो गया था । उपलब्ध जानकारी के अनुसार शंहशाह हुमायूँ के दिल्ली दरबार में जागीरदार माननीय श्री ठाकुर सिदासजी कानूनगो द्वारा हिजरी सन 966 वि.स. 1602 याने करीब 450 वर्ष पूर्व सांवेर की स्थापना की गयी। सांवेर में कुछ मकानों कि नक्काशी व शिल्पकार्य से भी अनुमान लगता है कि सांवेर पुरातनकाल में भी अस्तित्व में था। नगर के लगभग सभी मंदिरों मसलन राम मंदिर, कृष्ण मंदिर, शंकर मंदिर, केदारेश्वर मंदिर, नील कंठेश्वर मंदिर, गणेश मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर, अनंतनारायण मंदिर आदि की स्थापना देवी अहिल्या बाई होल्कर के शासन काल में हुई थी। नगर के उज्जैन स्थित खेडापति हनुमान मंदिर (बड़े हनुमान मंदिर) की स्थापना श्री शिवाजी महाराज के दूत स्वामी समर्थ रामदासजी द्वारा की गयी थी। तात्कालिक समय में होलकर राजघराने की सीमा बड़े...
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