सांवेर के भुट्टे

भुट्टे के बिना सांवेर का इतिहास अधुरा लगता है । क्या कहना यंहा के भुट्टे का , सांवेर बायपास रोड के दोनों किनारों पर लगी दुकाने , गरमा-गरम धधकते अंगारों पर पकते स्वादिष्ट भुट्टो का जायका लिए बिना यंहा से कोई नहीं गुजरता । संत, नेता, अभिनेता, अफसर, उद्योगपति, समाजसेवी, कावड़यात्री व् अन्य कोई भी व्यक्ति हो यंहा के भुट्टे का स्वाद लिए बिना आगे नहीं बढता । 365 दिन यंहा भुट्टे का मेला लगा रहता है । कई मुसाफिर तो यंहा तक कहते है कि आप सांवेर से गुजरे और भुट्टे नहीं खाए तो समझो आपकी यात्रा अधूरी है । कई श्रद्धालु तो यंहा से कच्चे भुट्टे लेकर जाते है, और महाकाल को चढाते है ।बारिश के मौसम में तो भुट्टो के दीवानों की यंहा भीड़ रहती है, कई लोग भींगते भी है साथ में भुट्टे का मजा भी लेना नहीं भूलते ।

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