कट्क्या नदी
सांवेर में कट्क्या नदी के तट पर इमली के पेड़ो के नीचे होल्कर घराने के हाथी-घोड़े बांधे जाते थे। इसको हाथी थान भी कहते है यंहा हाथियों को नहलाया जाता था। पूर्व में यंहा पनघट हुआ करता था , सारा सांवेर यंहा से पेयजल की व्यवस्था करता था । जब 1964 में अकाल पड़ा तब कट्क्या नदी के जल से आपूर्ति हुई थी।
खुरासानी इमलीयां
सांवेर क्षेत्र में खुरासानी इमली के पेड़ो की संख्या बहुत अधिक है, इन पेड़ो को जैन शास्त्रों में कल्पवृक्ष कहा गया है। सांवेर कोर्ट के पीछे परिसर में एक कल्पवृक्ष का पेड़ है जो 500 साल से अधिक पुराना है। यह पेड़ उन क्षेत्रो में देखने को मिलता है जंहा प्राचीन में किसी राजा-महाराजाओ का इतिहास रहा हो। इस पेड़ का तना 12 मीटर (36 फूट) से भी अधिक चौड़ा है, इसके तने में ऐसी सुन्दर नक्काशी देखने को मिलती है जैसे किसी कारीगर ने अपनों हाथो बनायीं हो।
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