लालशाह वाली बाबा की दरगाह
सांवेर के दक्षिण में इंदौर रोड पर स्थित सल्तनत कल की इस दरगाह के बारे में मान्यता है कि औरंगजेब को अपनी जिज्ञासाओ का समाधान यही मिलता था। आज भी यह स्थल हिन्दू एवं मुस्लिम दोनों धर्मावलंबियों के लिए समान निष्ठां का केंद्र है । कहते है कि इस मजार पर स्वंय लालशाहवली बाबा की व् उनकी माताजी तथा परिवार की मजार है । 3 बीघा में फैली इस दरगाह पर दूर-दूर से भाविक लोग मन्नत लेकर आते है । सबसे रहस्यप्रद बात यह है की दरगाह परिसर में 7 फूट लम्बा और 2 फूट चौड़ा तुअर का तना है जो कि आज भी कौतुहल पैदा करता है । दरगाह पर कई वर्षो से सतत शानदार उर्स का आयोजन किया जा रहा है , एवं यहाँ पर कितने ही नामचीन कव्वालो ने अपनी कलाम का तोहफा बाबा के चरणों में समर्पित कर चुके है जिनमें अलताफ राजा, अफजल सहीद जयपुरी एवं समीम नामिम ने भी अपने कलाम की प्रस्तुति दी। मुस्लिम समाज द्वारा इसका संचालन किया जाता है। पुराने लोग कहते है की एक गुप्त रास्ता जो यंहा से निकलता था जो उज्जैन के झुनझुन शाहवाले बाबा के दालान में निकलता था।

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